SEBI भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने रविवार को कहा कि वह विशेष अदालत के उस आदेश को चुनौती देगा, जिसमें पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और अन्य अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया है। यह मामला कथित स्टॉक मार्केट धोखाधड़ी से जुड़ा है। SEBI ने तर्क दिया कि अदालत ने “निराधार” याचिका पर कार्रवाई की है और बोर्ड को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया।
SEBI का बयान
SEBI ने अपने बयान में कहा कि मुंबई स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) अदालत में एक विविध याचिका दायर की गई थी, जिसमें पूर्व अध्यक्ष, वर्तमान समय में कार्यरत तीन पूर्णकालिक सदस्य और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के दो अधिकारियों को आरोपी बनाया गया था।
SEBI ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा,
“याचिकाकर्ता एक ज्ञात झूठे और आदतन मुकदमेबाज हैं, जिनकी पहले की याचिकाएँ अदालत द्वारा खारिज की गई हैं, कुछ मामलों में उन पर जुर्माना भी लगाया गया है। SEBI इस आदेश को चुनौती देने के लिए उचित कानूनी कदम उठाएगा और सभी मामलों में नियामक अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा।”
कोर्ट ने क्यों दिया FIR का आदेश?
मुंबई की एक विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को निर्देश दिया कि वह SEBI की पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ एफआईआर दर्ज करे। यह आदेश कथित स्टॉक मार्केट धोखाधड़ी और नियामकीय उल्लंघनों के मामले में दिया गया है।
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न्यायाधीश शशिकांत एकनाथराव बांगड़ ने शनिवार को पारित अपने आदेश में कहा,
“नियामकीय चूक और मिलीभगत के प्रारंभिक साक्ष्य मौजूद हैं, जिससे निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है।”
अदालत ने आगे कहा कि लगाए गए आरोप संज्ञेय अपराध को दर्शाते हैं, जिसके लिए जांच आवश्यक है।
“कानून प्रवर्तन एजेंसियों और SEBI की निष्क्रियता को देखते हुए, न्यायिक हस्तक्षेप आवश्यक हो गया है।”
क्या है पूरा मामला?
आरोप यह है कि एक कंपनी को धोखाधड़ी के साथ स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया, जिसमें नियामक अधिकारियों की मिलीभगत रही। SEBI पर आरोप है कि उसने 1992 के SEBI अधिनियम और उसके नियमों और विनियमों का पालन किए बिना कंपनी को सूचीबद्ध करने की अनुमति दी।
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शिकायतकर्ता, जो एक मीडिया रिपोर्टर हैं, ने आरोप लगाया कि SEBI अधिकारियों ने अपने वैधानिक कर्तव्य का पालन नहीं किया, बाजार में हेरफेर की सुविधा प्रदान की, और ऐसी कंपनी को सूचीबद्ध होने दिया जो निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करती थी।
SEBI अब इस आदेश को कानूनी रूप से चुनौती देने की तैयारी में है।