सुनील बंसल : One Nation One Election ‘एक देश, एक चुनाव’ लोकतंत्र की मजबूती की दिशा में ऐतिहासिक पहल

One Nation One Election ‘एक देश, एक चुनाव’ की अवधारणा न केवल लोकतंत्र को अधिक मजबूत और जवाबदेह बनाती है, बल्कि यह प्रशासनिक सुगमता, आर्थिक बचत और विकास की रफ्तार को भी गति देती है। यह विचार भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री एवं One Nation One Election ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के राष्ट्रीय संयोजक सुनील बंसल ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विषयक प्रबुद्ध समागम में व्यक्त किया। यह कार्यक्रम नोएडा के सेक्टर-91 स्थित पंचशील बालक इंटर कॉलेज ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया।

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One Nation One Election लोकतंत्र के हित में समय और संसाधनों की बचत

One Nation One Election बंसल ने बताया कि बार-बार चुनावों से न केवल सरकारी तंत्र बल्कि आम जनता का भी समय, ऊर्जा और धन नष्ट होता है। 2024 के लोकसभा चुनावों पर अनुमानतः 1.35 लाख करोड़ का खर्च हुआ। यदि इसी अवधि में एकसाथ चुनाव होते, तो यह खर्च 30–40% तक कम किया जा सकता था, जिससे 20–25 हजार करोड़ की बचत होती।

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विकास कार्यों में रफ्तार, गुड गवर्नेंस को बढ़ावा

One Nation One Election उन्होंने कहा कि बार-बार लागू होने वाली आचार संहिता के कारण विकास कार्य रुकते हैं। एकसाथ चुनाव होने से सरकार को पांच वर्षों तक योजनाएं निर्बाध रूप से लागू करने का मौका मिलेगा। इससे जवाबदेही भी बढ़ेगी और शासन व्यवस्था पारदर्शी व प्रभावी बनेगी।

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इतिहास में भी रहा है एकसाथ चुनाव का प्रचलन

One Nation One Election  बंसल ने याद दिलाया कि यह कोई नया विचार नहीं है। 1952 से 1967 तक भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ ही होते थे। आज देश में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं, जिनकी विधानसभाओं का कार्यकाल अलग-अलग समय पर समाप्त होता है, जिससे देश में हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होता रहता है।

अर्थव्यवस्था को मिल सकता है बड़ा लाभ

एक रिपोर्ट के मुताबिक, यदि 2024 में एकसाथ चुनाव होते, तो देश की जीडीपी में 1.5 प्रतिशत (लगभग 4.5 लाख करोड़) की वृद्धि संभव थी। यह रकम भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के कुल बजट का आधा और शिक्षा बजट का लगभग एक-तिहाई है। साथ ही, महंगाई पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है और निवेश का अनुपात बढ़ सकता है।

प्रदूषण और संसाधन व्यय में कमी

बार-बार चुनाव प्रचार के कारण वायु और ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ बड़ी मात्रा में पोस्टर, बैनर और प्रचार सामग्री से पर्यावरण को हानि होती है। एकसाथ चुनाव से यह समस्या भी काफी हद तक नियंत्रित हो सकेगी।

प्रशासनिक व्यवस्था को मिलेगा राहत

प्रत्येक चुनाव में लाखों सरकारी कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी चुनावी ड्यूटी में लगते हैं, जिससे उनका मूल कार्य प्रभावित होता है। एकसाथ चुनाव होने से यह व्यवधान एकमुश्त समाप्त हो जाएगा और प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी।

राजनीतिक दलों को अवसर और पारदर्शिता

बंसल ने कहा कि एकसाथ चुनाव से राजनीतिक दलों का ध्यान बार-बार चुनाव लड़ने से हटकर नीतियों और जनहित के मुद्दों पर केंद्रित होगा। परिवारवाद पर आधारित राजनीति को इससे चुनौती मिलेगी और नई प्रतिभाओं को अवसर मिल सकेगा।

कार्यक्रम में रही विशेष उपस्थिति

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. डी.के. गुप्ता (चेयरमैन, फेलिक्स हॉस्पिटल) ने की और संयोजन में पूर्व बार एसोसिएशन अध्यक्ष कालूराम चौधरी मौजूद रहे। इस अवसर पर कई प्रमुख जनप्रतिनिधि और गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रही, जिनमें सांसद डॉ. महेश शर्मा, पंकज सिंह, सुरेंद्र नागर, तेजपाल नागर, धीरेंद्र सिंह, विकास गुप्ता, नवाब सिंह नागर सहित कई भाजपा नेता शामिल थे।

संस्थागत भागीदारी

इस संगोष्ठी में फोनरवा, डीडीआरडब्ल्यूए, भारतीय चिकित्सा संघ, फिक्की, एसोचैम, सुप्रीम कोर्ट व बार एसोसिएशन के सदस्य, विभिन्न सामाजिक, व्यापारिक और शैक्षणिक संगठनों की भागीदारी रही।

‘एक देश, एक चुनाव’ केवल एक चुनावी सुधार नहीं, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र, अर्थव्यवस्था और प्रशासनिक व्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का माध्यम बन सकता है। इसके लिए व्यापक सहमति, पारदर्शी कार्यान्वयन और सभी राजनीतिक दलों की सहभागिता अनिवार्य है।