OBC Reservation मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 14% होना चाहिए या 27 %? इस महत्वपूर्ण सवाल पर अब सुप्रीम कोर्ट फैसला करेगा। मंगलवार को शीर्ष अदालत ने इस मामले से जुड़ी ट्रांसफर याचिकाओं को मंजूर करते हुए सभी पक्षकारों और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किए हैं। अगली सुनवाई अक्टूबर में होने की संभावना है। इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता उपस्थित थे।
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सुप्रीम कोर्ट में 85 याचिकाएं विचाराधीन
OBC Reservation सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच के सामने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आदित्य संघी ने दलील दी कि संवैधानिक बेंच ने 50% से अधिक आरक्षण पर रोक लगाई है। इसके बावजूद मध्य प्रदेश सरकार ने आरक्षण को बढ़ाकर 63% कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि मराठा आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त आरक्षण को अमान्य किया था, और बिहार के मामले में भी 50% से ज्यादा आरक्षण को अस्वीकार किया जा चुका है। ऐसे में, मध्य प्रदेश में भी 50% से अधिक आरक्षण देना असंवैधानिक है।
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अधिवक्ता संघी ने यह भी बताया कि मार्च 2019 में इस आरक्षण के खिलाफ हमने हाईकोर्ट से स्टे लिया था, और इस पर लगातार सुनवाई हो रही थी। लेकिन, फैसले से पहले ही मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर याचिका दाखिल कर दी, और इसके बाद 100% भर्ती की बजाय 87-13 का फॉर्मूला लागू कर दिया गया। संघी ने कोर्ट से निवेदन किया कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में पूरी सुनवाई कर फैसला दे, ताकि अभ्यर्थियों को बार-बार परेशानियों का सामना न करना पड़े।
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सुप्रीम कोर्ट का नोटिस और मध्य प्रदेश सरकार से जवाब तलब
OBC Reservation सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर दिया है। खासतौर से मध्य प्रदेश सरकार से पूछा गया है कि 27% आरक्षण क्यों और कैसे किया गया है, और 87-13 के फॉर्मूले के आधार पर भर्ती क्यों की गई है ? इस मामले का निर्णय न केवल मध्य प्रदेश बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मिसाल बनेगा, जहां ओबीसी आरक्षण का मुद्दा संवेदनशील और विवादित रहा है।