KK Nayar :- अयोध्या राम मंदिर Ram Mandir के आज की कड़ी में आपको एक ऐसे शख्स की कहानी जिसके बारे में आपने शायद ही सुना होगा। जैसा की आप सभी जानते है अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार होने जा रहा है। 22 जनवरी को भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। Prime Minister Narendra Modi भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। राम मंदिर के संघर्ष की कहानी 492 साल पुरानी है। इसनें कई अध्याय हैं। एक अध्याय है KK Nayar का।
KK Nayar केके नायर उस वक़्त फैजाबाद के जिलाधिकारी थे, केके नायर वही व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के आदेश का पालन नहीं किया था । कहते हैं कि अयोध्या में जब 22 और 23 दिसंबर 1949 की रात भगवान राम की मूर्तियां बाबरी मस्जिद में प्रकट होती है तो नेहरू केके नायर को खत लिखते हैं। अपने खत में वो नायर को आदेश देते हैं कि मस्जिद से मूर्तियों को हटा दिया जाए। नेहरू ऐसा केवल एक बार नहीं बल्कि दो बार करते हैं।
दोनों ही बार केके नायर नेहरू के आदेशों का पालन नहीं करते। अगर केके नायर ने उस वक्त भगवान राम की मूर्तियों को वहां से हटवा दिया होता, तो शायद आज भव्य मंदिर का निर्माण अयोध्या में न हो रहा होता। यही कारण है कि केके नायर को बड़े हिंदूवादी चेहरे के रूप में जाना जाता है और राममंदिर के लिए किए गए संघर्षों में उनका नाम भी आता है। केके नायर का जन्म केरल में हुआ था। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद नायर इंग्लैंड चले गए और महज 21 वर्ष की आयु में ही उन्होंने भारतीय सिविल सेवा (ICS) की परीक्षा पास कर ली।
बता दें कि आज जिस पद के लिए आईएएस शब्द का इस्तेमाल करते हैं, उसे पहले आईसीएस कहा जाता था। इसके बाद 1 जून 1949 को उन्हें फैजाबाद का उपायुक्त सह जिला मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया जाता है नायर की नियुक्ति जैसे ही फैजाबाद में होती है। तो उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से एक पत्र मिलता है । इस पत्र में नायर से राम जन्मभूमि मुद्दे पर एक रिपोर्ट पेश करने को कहा जाता है ।
नायर अपने सहायक गुरुदत्त सिंह को रिपोर्ट पेश करने के लिए भेज देते है और गुरुदत्त 10 अक्टूबर 1949 को राम मंदिर के निर्माण की सिफारिश कर देते है. गुरुदत्त सिंह लिखते है की हिंदू समुदाय ने इस आवेदन में एक छोटे के बजाय एक विशाल मंदिर के निर्माण का सपना देखा है। इसमें किसी तरह की परेशानी नहीं है। उन्हें अनुमति दी जा सकती है। हिंदू समुदाय उस स्थान पर एक अच्छा मंदिर बनाने के लिए उत्सुक है, जहां भगवान राम का जन्म हुआ था।
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू राम मंदिर के मुद्दे पर सियासी बदलाव को देखते है और यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंद को निर्देश देते है कि विवादित स्थान पर यथास्थिति बनाई जाए। लेकिन केके नायर इस फैसले को मानने से इनकार कर देते है इतना ही नहीं केके नायर पर यह दबाव भी बनाया जाता है कि बाबरी मस्जिद से मूर्तियों के हटा दिया जाए, लेकिन नायर ने ऐसा करना ठीक नहीं समझते । नायर के इस रवैये से उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत नाराज हो जाते है।और नेहरू को खत लिखते है की अगर मूर्तियों को हटा दिया गया तो हालत बिगड़ सकते है और हिंसा भी हो सकती है लकिन नेहरू मुर्तिया हटाने को बोलते है पर नायर अपने बात पर अडिग रहते है और अपनी इस्तीफे की मांग कर देते है जिसके बाग़ सीएम उनके इस रवैये से नाराज हो कर जिला मजिस्ट्रेट पद से निलंबित कर देते है
इसके बाद केके नायर कांग्रेस सरकार के खिलाफ कोर्ट का रुख करते है और उन्हें अपना पद फिर से मिल जाता है । लेकिन नायर ने इसके बाद सिविल सेवा को अलविदा कह देते है । इस कारण कई लोग केके नायर को नायर साहब कहकर भी बुलाने लगते है । आईसीएस के पद से इस्तीफा देने के बाद केके नायर ने राजनीति में एंट्री लेते है ।
नायर और उनका परिवार जनसंघ में शामिल हो जाते है वर्ष 1952 में उनकी पत्नी शकुंतला नायर उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्य के तौर पर जीत दर्ज करती है। साल 1962 में केके नायर और उनकी पत्नी दोनों ही लोकसभा का चुनाव जीतते हैं। सबसे खास बात तो ये है कि उनके ड्राइवर को भी उत्तर प्रदेश से विधानसभा का सदस्य चुना जाता है , आपातकाल के दौरान केके नायर और उनकी पत्नी शकुंतला नायर को भी गिरफ्तार किया जाता है । 7 सितंबर 1977 को केके नायर का देहांत हो जाता हैं इस तरह नायर अपना जीवन राम मंदिर को समर्पित कर देते है । ऐसे ही कई बलिदानियों के संघर्षों का परिणाम है अयोध्या में बन रहा राम मंदिर।