Jabalpur Rani Durgavati जबलपुर रानी दुर्गावती शोध संस्थान द्वारा रानी दुर्गावती बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष छायांकन प्रतियोगिता एवं प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। मध्य प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और विभिन्न छायाचित्रों का अवलोकन किया। इस प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने गोंडवाना काल के ऐतिहासिक स्थलों के फोटोग्राफ प्रस्तुत किए, जिनमें मदन महल किले से 100 किलोमीटर के अंदर और बाहर के ऐतिहासिक स्थल शामिल थे।
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प्रतियोगिता और पुरस्कार
Jabalpur Rani Durgavati प्रतियोगिता में कुल 500 से अधिक छायाचित्रों का समावेश किया गया था। निर्णायक मंडल द्वारा तीन प्रमुख प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया, जबकि पांच सांत्वना पुरस्कार भी प्रदान किए गए। प्रथम पुरस्कार गुलशन केवट, द्वितीय पुरस्कार आदित्य जैन, और तृतीय पुरस्कार जे.डी. पांडे को प्रदान किया गया। इस प्रतियोगिता और प्रदर्शनी में शामिल सभी प्रतिभागियों ने रानी दुर्गावती के जीवन, उनके समय की युद्ध नीति, जल संरक्षण, पर्यावरण और आर्थिक एवं धार्मिक पक्षों को उजागर करते हुए फोटोग्राफ प्रस्तुत किए।
आयोजन की भूमिका
Jabalpur Rani Durgavati इस प्रतियोगिता और प्रदर्शनी के आयोजन में डॉ. पवन स्थापक, राष्ट्रीय संयोजक प्रोफेसर ए.डी.एन. बाजपेयी, सचिव अतुल दुबे, डॉ. ए.बी. श्रीवास्तव, डॉ. विपिन बिहारी व्योहार, डॉ. आदित्य मिश्रा, डॉ. विजय आनंद मरावी, और मुकुल यादव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. पवन स्थापक ने बताया कि इस प्रदर्शनी का उद्देश्य रानी दुर्गावती के पूरे जीवनकाल को चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत करना था, जिससे जनता को उनकी वीरता और योगदान के बारे में जागरूक किया जा सके।
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मुख्यमंत्री का समर्थन और आश्वासन
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदर्शनी के दौरान रानी दुर्गावती शोध संस्थान की एक महत्वपूर्ण माँग पर भी चर्चा की। संस्थान ने डुमना एयरपोर्ट का नाम वीरांगना रानी दुर्गावती एयरपोर्ट रखने का प्रस्ताव रखा। मुख्यमंत्री ने इस पर गंभीरता से विचार करने और पूरा प्रयास करने का आश्वासन दिया। इस पहल से रानी दुर्गावती की स्मृति को और भी व्यापक रूप से सम्मानित किया जाएगा और उनकी वीरता को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
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निष्कर्ष
रानी दुर्गावती बलिदान दिवस प्रदर्शनी ने न केवल ऐतिहासिक धरोहरों को पुनर्जीवित किया बल्कि जनता को रानी दुर्गावती के जीवन और योगदान से रूबरू कराया। इस प्रकार के आयोजन न केवल सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित रखने में मददगार होते हैं बल्कि नई पीढ़ी को अपनी विरासत पर गर्व करने का अवसर भी प्रदान करते हैं। मुख्यमंत्री के आश्वासन के साथ, रानी दुर्गावती शोध संस्थान को आशा है कि भविष्य में डुमना एयरपोर्ट का नाम वीरांगना रानी दुर्गावती एयरपोर्ट किया जाएगा, जिससे उनकी वीरता और साहस की गाथा हमेशा जीवित रहेगी।