Jabalpur Court : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सेना के एक जवान के मामले में हस्तक्षेप किया है, जिसे युद्ध में बहादुरी के लिए राज्य सरकार द्वारा दिए गए 15 एकड़ जमीन का पट्टा नहीं मिल पाया है। Jabalpur Court हाईकोर्ट ने तहसीलदार सोहागपुर को आदेश दिया है कि वे चार महीने के भीतर इस जमीन के पट्टे के लिए उसके आवेदन का निपटारा करें। इस जवान ने दो युद्धों में हिस्सा लिया और अपनी बहादुरी के लिए वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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शहीद भोला सिंह के पट्टे के लिए संघर्ष
Jabalpur Court सेना के जवान भोला सिंह का निधन हो चुका है और अब इस जमीन के पट्टे के लिए कानूनी लड़ाई उनके बेटे साहब सिंह लड़ रहे हैं। याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस एमएस भट्टी ने पाया कि 14 साल पहले दायर याचिका में राज्य सरकार ने नोटिस का जवाब नहीं दिया है।
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2010 में दायर याचिका
साल 2010 में साहब सिंह ने अपनी याचिका में बताया था कि उनके पिता भोला सिंह भारतीय सेना में थे और उन्होंने दो युद्ध लड़े थे। युद्धों में दिखाई गई वीरता के लिए उन्हें वीरता पुरस्कार दिया गया था। इस पुरस्कार के तहत उन्हें होशंगाबाद जिले की सोहागपुर तहसील के महुआ खेड़ा गांव में 15 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। उनके पिता ने 1995 में इस जमीन के पट्टे के लिए आवेदन किया था, जो अब तक लंबित है, जबकि उनके पिता का निधन हो चुका है।
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कोर्ट का निर्देश
याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि प्रतिवादियों को अगस्त 2010 में नोटिस दिए गए थे। अप्रैल 2024 में राज्य सरकार को याचिका पर जवाब देने का अंतिम मौका दिया गया था, लेकिन अब तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है। याचिका का निपटारा करते हुए न्यायमूर्ति आहलूवालिया ने कहा कि यदि तहसीलदार सोहागपुर ने मामले में कोई निर्णय नहीं लिया है तो वे गांव के सरपंच और अन्य संबंधित पक्षों को सुनवाई का मौका दें और आगामी चार महीने के भीतर स्वर्गीय भोला सिंह के आवेदन पर निर्णय लें।
यह आदेश शहीद जवानों और उनके परिवारों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के प्रति एक महत्वपूर्ण कदम है। राज्य प्रशासन को इस मामले को तय समय सीमा में निपटाने का निर्देश देना प्रशासनिक प्रक्रिया में तेजी लाने की एक पहल है।