Indore इंदौर की एक हिंदू युवती और जबलपुर के मुस्लिम युवक के बीच शादी का विवाद अब समाप्त हो गया है। जबलपुर हाईकोर्ट ने गुरुवार को इस बहुचर्चित इंटरफेथ मैरिज मामले में सुनवाई के दौरान फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने स्पष्ट किया कि स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 की धारा 4 के तहत दोनों को शादी का अधिकार है।
कोर्ट ने दिया सुरक्षा का आदेश
हाईकोर्ट ने जबलपुर पुलिस प्रशासन को निर्देश दिया है कि प्रेमी जोड़े को एक महीने तक सुरक्षा प्रदान की जाए। इसके साथ ही युवती के पिता द्वारा शादी रुकवाने की मांग को खारिज कर दिया गया।
आवेदन से उपजा विवाद
यह मामला तब शुरू हुआ जब इंदौर की युवती और सिहोरा के हसनैन अंसारी ने विवाह के लिए जबलपुर अपर कलेक्टर की कोर्ट में आवेदन किया। इस पर हिंदू संगठनों और युवती के परिजनों ने कड़ा विरोध जताया था। सिहोरा में एक दिन का बंद भी आयोजित किया गया। यह शादी 12 नवंबर 2024 को होनी है।
5 वर्षों का लिव-इन रिलेशनशिप
हाईकोर्ट ने पाया कि दोनों पिछले 5 वर्षों से आपसी सहमति से लिव-इन रिलेशनशिप में थे। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि शादी की प्रक्रिया निर्विघ्न रूप से पूरी कराने में मदद की जाए।
विरोध और प्रदर्शन
हिंदू संगठनों ने इस शादी के खिलाफ कई जगह विरोध प्रदर्शन किए। विवाद तब और बढ़ गया जब हैदराबाद से भाजपा विधायक टी. राजा ने सोशल मीडिया पर आवेदन की कॉपी शेयर करते हुए शादी रुकवाने की मांग की।
विधायक का विवादित बयान
टी. राजा ने एक वीडियो में कहा कि अगर यह शादी हुई तो युवती को फ्रिज में कटी लाश के रूप में पाया जाएगा। इस बयान ने मामले को और तूल दे दिया। हालांकि, हाईकोर्ट ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी को वैध ठहराते हुए विवाद पर पूर्ण विराम लगा दिया है। अब यह फैसला प्रेम और आपसी सहमति के अधिकार को मजबूत करता है, जबकि कानूनी प्रक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है।