Dr. Vidhan Sarkar :- दो दशक से ज्यादा समय हो गया ये सुनते हुए कि झोलाछाप Dr. Vidhan Sarkar डॉक्टर्स पर सरकार शिकंजा कसेगी। उन्हें किसी भी सूरत में स्वास्थ्य जैसे गम्भीर विषय पर काम नही करने दिया जाएगा। बावजूद इसके ऐसा कोई साल नही बीतता जब किसी ऐसे ही झोलाछाप डॉक्टर Dr. Vidhan Sarkar के इलाज से कोई न कोई दम नही तोड़ता। कार्रवाई के नाम पर एक दो दिन की मुस्तेदी के अलावा सम्बंधित महकमे में फिर सुस्ती छा जाती है। नतीजा फिर किसी निर्दोष की मौत के रूप में सामने आता है।
पिछले दिनों इंदौर के नजदीक बाइग्राम का है।एक गरीब परिवार के तीन मासूमों का एक झोलाछाप डॉक्टर ने ऐसा इलाज किया कि तीन भाइयों की जोड़ी में से दो दुनिया छोड़ गए । ऐसा ही एक झोलाछाप डॉक्टर की जानकारी हमारी टीम को लगी टीम ने मौके पर ही पाया कि 85,वर्धमान नगर,नगीन नगर पर बगैर उचित डिग्री लिए जनता का एलोपेथी पद्धति से इलाज कर जान से खिलवाड़ किया जा रहा है।
उक्त एड्रेस पर डॉक्टर विधान सरकार द्वारा एलोपेथी पद्धति से लोगो का इलाज किया जा रहा है, जबकि डॉक्टर विधान सरकार के पास होमोयोपेथी की पद्धति से इलाज करने की डिग्री है।होम्योपैथी डिग्री में ना तो ड्रिप,सलाईन चडाने की अनुमति होती है,ना किसी प्रकार के इंजेक्शन लगाने की अनुमति होती है, इन सब के बावजूद डॉक्टर विधान सरकार चंद रुपयों के खातिर अवैध रूप से लोगो का इलाज कर उनकी जान से खिलवाड़ कर रहा है।
बस्ती के लोगो से दबी जुबान से मिली जानकारी के अनुसार कुछ दिन पृर्व ही डॉक्टर विधान सरकार के इलाज से एक गरीब व्यक्ति की मौत हो गई थी, लेकिन अपने राजनीति प्रभाव के चलते ले दे कर मामले को रफा दफा करा दिया। पृर्व में भी ऐसे झोला छाप डॉक्टर की वजह से सिमरोल में मासूमों की जान गई थी। हर बार की तरह सिस्टम जागा कब जागेगा।
सवाल फिर वहीं है कि ऐसे हालात ही क्यो निर्मित हो रहे है जिसके कारण झोलाछाप डॉक्टर्स इलाज़ कर रहे है? अगर है तो फिर ये झोलाछाप डॉक्टर तो इंदौर जैसे महानगर में भी काम कर रहे है। इन्हें काम करने से रोकने के लिए सिस्टम को कौन रोक रहा है?
कुशवाह नगर, टिगरिया, नगीन नगर, चंदन नगर, बाँक, बाणगंगा, इंदिरा नगर, मूसाखेड़ी, तेजाजी नगर, राज नगर जैसे सघन आबादी ओर तंग बस्ती इलाको में आज भी झोलाछापों को आप हम इलाज करते देख सकते है। कोई आर एम पी के नाम से बोर्ड टांगकर मरीज को बॉटल तक चढ़ा रहे है तो कोई बांग्लादेश की डिग्री चस्पा कर दुकान जैसे क्लिनिक में चीरफाड़ तक कर रहा है। कही कोई घटना के बाद कुछ दिन जिला प्रशासन सख्ती बरतता है।
फिर वही ढाक के तीन पात। नतीजा बाइग्राम जैसी ह्रदयविदारक घटना के रूप में सामने आ रहा है। जिला प्रशासन इस काम मे लिप्त नकली डाक्टर्स पर सख्त कार्रवाई क्यो नही करता जो ऐसी नजीर बने की कोई भी स्वास्थ्य जैसे गम्भीर विषय के साथ खिलवाड़ न कर सके? तंग व सघन आबादी इलाको में नियमित निगरानी क्यो नही की जाती? उन हालातो को दुरुस्त क्यो नही किया जाता जिसके कारण गरीब आदमी को इन झोलाछाप की शरण मे जाना पड़ता है।
सरकारी स्वास्थ केंद्रों पर अमले ओर संसाधन की कमियों को दूर क्यो नही किया जा रहा? उस चेन को क्यो नही तोड़ा जा रहा जो झोलाछापों के जरिये नर्सिंग होम ओर गली मोहल्लों में बन गए अस्पतालों तक आती है? इसकी जांच क्यो नही हो रही कि ये झोलाछाप कही इन आधुनिक अस्पताल और जमीर बेच चुके कुछ चिकित्सको के एजेंट के रूप में बस्तियों में डेरा डालकर तो नही बेठे है?
ऐसी किसी भी घटना के बाद कुछ दिन की सख्ती के बाद स्वास्थ विभाग चुप क्यो बैठ जाता है? सवालों पर ये चुप्पी आम आदमी की जान से खेल रही है। मोन तोड़िये श्रीमान, आखिर ये किसी के जीवन मौत से जुड़ा विषय है। इस बीमारी का स्थायी इलाज कीजिये। ऐसे हालात बनाइये की इंदौर तो क्या, किसी गांव खेड़े में भी इन झोलाछापों को बोर्ड टांगने की जगह न मिले।