Goverment Civil Hospital :- आरोन सरकारी अस्पताल को काफी वक्त से Civil Hospital सिविल अस्पताल का दर्जा दिया था। लेकिन यहां आने वाले मरीजों को सामुदायिक तो क्या प्राथमिक स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। वर्तमान में अस्पताल के क्या हाल हैं।
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इसे जानने के लिए अस्पताल तक जाने की भी जरूरत नहीं है। कोई भी नागरिक बता देगा वह ना जाएं क्योंकि पहले तो डॉक्टर ही नहीं मिलेंगे फिर मजबूरी में सरकारी अस्पताल के डॉक्टर के घर पर या प्राइवेट हॉस्पिटल में जाना पड़ेगा।
क्योकि इस सिविल अस्पताल में, ओपीडी के समय डॉक्टर नहीं बैठते। अगर मध्यप्रदेश के सिविल अस्पताल का जायजा किया, जाए तो आप समझ जायँगे की मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं कितनी डगमगाई हुई है।
आप कभी भी अस्पताल में मौजूद ओपीडी का दौरा करेंगे तो आप पाएंगे की अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर अधिकतर समय गायब रहते है। जब आप अस्पताल के कर्मचारियों से पता करेंगे तो उनका कहना रहता है, की डॉक्टर किसी विशेष काम से बाहर है।
लेकिन आप सच जानने की कोशिश करेंगे तो पता चलेगा कि वे मरीजों को घर पर ही देख रहे हैं, और सच जानने के लिए उनके घर पहुंचेंगे तो वहां डॉक्टर भी होंगे और उन्हें दिखाने आने वाले मरीज भी लाइन में लगे होंगे। जब आप बात करेंगे तो पता चलेगा कि आज भले ही कम भीड़ है। लेकिन अक्सर लाइन के लिए जगह कम पड़ जाती है।
स्टॉप पर नहीं नियंत्रण
आरोन अस्पताल में समस्याओं की बात करें तो केवल ओपीडी के समय डॉक्टर के गायब रहने का मुद्दा ही नहीं। बल्कि कई बार दबा भी बाहर से मंगवानी पड़ती है।
मरीजों का कहना है, कि बीएमओ का स्टॉप पर कोई नियंत्रण नहीं रहता है। मरीज परेशान होते रहते हैं। लेकिन उनकी सुनवाई नहीं होती है। यही वजह है, कि लापरवाह स्टाफ के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।
कुल मिलाकर गरीब व जरूरतमंद मरीज को सरकार से जो जन हितेषी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए उस योजनाओं के लाभ से मरीज वंचित रह जाते हैं।
गौर करने वाली बात है कि प्रदेश के इंदौर भोपाल जैसे बड़े शहरों में विदिशा अशोकनगर जैसे जिले से भी बड़ी संख्या में मरीज आते हैं, और मज़बूरी में आरोन अस्पताल के चल रही मनमानी के चलते।
उन्हें डाक्टरों के घर जाकर इलाज करवाना पड़ता हैं, और उसकी मोटी रकम चुकाना पड़ता है। जानकारी के अनुसार पता चला है, की मरीज देखने की फीस 100 रूपए से अधिक है, और जिस वक़्त डाक्टरों को ओपीडी में रहना चाहिए उस समय वे घर पर मरीज देखते हैं। हर मरीज से जांच की मोटी रकम मांगी जाती हैं। और डाक्टरों द्वारा कहा जाता हैं कि घर दिखाना है तो ₹100 देना होगा।