Census भारत में 2011 के बाद लंबित जनगणना Census एक जनवरी 2025 से आरंभ हो सकती है। इसके पहले, मध्यप्रदेश में सभी जिलों, गांवों, शहरों, तहसीलों और वन क्षेत्रों की प्रशासनिक सीमाएं 31 दिसंबर 2024 तक स्थिर (फ्रीज) कर दी जाएंगी। राज्य सरकार इन सीमाओं को फ्रीज किए जाने की रिपोर्ट जनगणना निदेशालय को सौंपेगी। जनगणना निदेशालय द्वारा भेजे गए पत्र के अनुसार, नए संभागों, जिलों या तहसीलों के गठन से पहले मौजूदा प्रशासनिक सीमाओं के आधार पर जनगणना संपन्न होगी, क्योंकि जनगणना के दौरान प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं में बदलाव संभव नहीं होगा।
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मुख्य सचिव को Census जनगणना निदेशक का पत्र
मध्यप्रदेश जनगणना निदेशालय की निदेशक भावना वालिम्बे ने मुख्य सचिव अनुराग जैन को पत्र लिखकर निर्देश दिए हैं कि राज्य के संबंधित विभागों – पंचायत और ग्रामीण विकास, नगरीय आवास और विकास, राजस्व, और वन विभाग – को सूचित किया जाए कि वे राज्य की सभी प्रशासनिक इकाइयों (जिले, तहसील, राजस्व ग्राम, वन ग्राम, नगरीय निकाय और उनके वार्ड) की सीमाओं में किसी भी बदलाव को 31 दिसंबर 2024 तक पूरा कर लें। अगर कोई बदलाव किया जाता है, तो उसकी सूचना एक जनवरी 2025 से पहले जनगणना निदेशालय को दी जानी चाहिए।
महा रजिस्ट्रार का निर्देश
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन भारत के महा रजिस्ट्रार कार्यालय ने 8 अक्टूबर को पत्र भेजकर मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव से आगामी जनगणना के लिए प्रशासनिक सीमाओं को फ्रीज करने की कार्यवाही तय समय पर सुनिश्चित करने का अनुरोध किया। इस पत्र में कहा गया है कि राज्य की प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं को एक जनवरी 2025 से फ्रीज किया जाएगा, इसलिए राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी है कि 31 दिसंबर 2024 तक इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी किए जाएं।
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सीमा फ्रीजिंग के लिए समयसीमा बढ़ाई गई
जनगणना निदेशालय की निदेशक भावना वालिम्बे के अनुसार, भारत सरकार ने कोरोना महामारी के चलते 25 मार्च 2020 को जनगणना स्थगित कर दी थी। इसके बाद, प्रशासनिक सीमाओं के पुनर्गठन के मद्देनजर राज्य सरकार को निर्देश दिए गए थे कि अगर कोई बदलाव करना है, तो इसे 30 जून 2024 तक पूरा कर लिया जाए। अब इस समयसीमा को 31 दिसंबर 2024 तक बढ़ाकर प्रशासनिक सीमाओं को फ्रीज करने के निर्देश दिए गए हैं।
पुनर्गठन आयोग की कार्यप्रणाली पर जनगणना का असर नहीं
जनगणना निदेशालय के पत्र के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार द्वारा गठित प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग के काम पर इसका असर पड़ेगा। हालांकि, राजस्व विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि जनगणना का कार्य पुनर्गठन आयोग की कार्यप्रणाली को प्रभावित नहीं करेगा। आयोग का कार्यकाल एक साल का है, जिसे जरूरत पड़ने पर बढ़ाया जा सकता है।
प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट पर निर्णय का समय
प्रशासनिक पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट आने पर सरकार की इच्छा पर निर्भर करेगा कि इसे कब लागू किया जाए। अनुशंसाओं को लागू करने के लिए सरकार को दावे और आपत्तियां बुलाकर न्यूनतम एक माह का समय चाहिए, जो 31 दिसंबर तक संभव नहीं दिखता। इसलिए, आयोग का कार्य बिना किसी बाधा के जारी रहेगा।