मानसिक यातना, नींद से वंचित, शौचालय की अनुमति नहीं: पाकिस्तानी हिरासत में BSF जवान ने झेला मानसिक उत्पीड़न

BSF के जवान पूर्णम कुमार शॉ, जो हाल ही में तीन सप्ताह की पाकिस्तानी हिरासत के बाद भारत लौटे हैं, गहरे मानसिक आघात से गुजर रहे हैं। सरकारी omega replica सूत्रों के अनुसार, उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित नहीं किया गया, लेकिन हिरासत के दौरान मानसिक यातनाएं दी गईं — जैसे नींद न लेने देना, शौचालय तक न जाने देना, और cheap replica watches आंखों पर पट्टी बांधना, जिसने उनकी मानसिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित किया है।

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कैसे पहुंचे BSF  पाकिस्तान की हिरासत में?

BSF  23 अप्रैल 2025 को, पूर्णम कुमार शॉ गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर पाकिस्तान में प्रवेश कर गए, जहां उन्हें पाकिस्तान रेंजर्स ने हिरासत में ले buy replica Rolex datejust लिया। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कई दौर की बातचीत हुई और 10 मई को दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ, जिसमें अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी।

BSF jawan Purnam Kumar Shaw, who recently returned to India after three weeks in Pakistani custody, is suffering from severe mental trauma.

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इस समझौते के चार दिन बाद, 14 मई की सुबह 10:30 बजे उन्हें अटारी-वाघा बॉर्डर के माध्यम से भारत को सौंपा गया।

BSF  मानसिक प्रताड़ना की विभीषिका

सूत्रों ने बताया कि हिरासत के दौरान पूर्णम शॉ को लगातार मानसिक दबाव में रखा गया।

  • उन्हें कई बार आंखों पर पट्टी बांधकर रखा गया

  • शौचालय उपयोग की अनुमति नहीं दी गई

  • लगातार नींद से वंचित रखा गया।

  • उनसे बार-बार सीमा पर बीएसएफ की तैनाती और संवेदनशील जानकारियों के बारे में पूछताछ की गई।

“अनजाने भय और मानसिक दबाव ने उन्हें गहरे मानसिक आघात में डाल दिया है,” — सरकारी सूत्र

मानसिक पुनर्वास की प्रक्रिया जारी

पूर्णम शॉ को इस मानसिक संकट से बाहर निकालने के लिए बीएसएफ अधिकारियों द्वारा डीब्रीफिंग और काउंसलिंग की प्रक्रिया जारी है। उनका पूरा ध्यान अभी मानसिक स्वास्थ्य को बहाल करने पर केंद्रित है।

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रिहाई से पहले कई दौर की कूटनीतिक वार्ता

BSF  बीएसएफ ने पाकिस्तान रेंजर्स के साथ कई बार वार्ता की। लेकिन हर बार पाकिस्तान की ओर से एक ही जवाब मिलता रहा:

“हमें ऊपर से निर्देशों का इंतजार है।”

आखिरकार, स्थापित प्रक्रियाओं और शांतिपूर्ण माहौल में अटारी सीमा पर हैंडओवर किया गया।

“बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ, जो 23 अप्रैल से पाकिस्तान रेंजर्स की हिरासत में थे, उन्हें आज सुबह 10:30 बजे संयुक्त चेक पोस्ट अटारी, अमृतसर के माध्यम से भारत को सौंपा गया,” — बीएसएफ अधिकारी

परिवार की खुशी और गर्व

पूर्णम शॉ की वापसी ने उनके परिवार में राहत और खुशी की लहर दौड़ा दी। उनके पिता भोला नाथ शॉ ने सरकारों का धन्यवाद करते हुए कहा:

“मैं चाहता हूं कि वह फिर से देश के लिए सेवा करे। वह जरूर वापस जाएगा और भारत माता की रक्षा करेगा।”

पूर्णम शॉ की वापसी न केवल देश के लिए एक बड़ी राहत है, बल्कि यह हमारे जवानों के अदम्य साहस और समर्पण का प्रतीक भी है। सीमाओं पर तैनात हमारे सैनिक, केवल गोलियों से नहीं, बल्कि मानसिक परीक्षाओं से भी लड़ते हैं।