Bollywood Movie :- ये मंजर है 29 साल पहले का, जब कश्मीर घाटी से सैकड़ों परिवार विस्थापित हुए। अपनी मिट्टी से खदेड़े गए। जहां-तहां जाकर बसे। दिल्ली से सटे बहादुरगढ़ में भी 100 परिवार आए। इधर-उधर सिर छिपाने के लिए आसरा ढूंढा। आसूं बहाए, मगर उम्मीद नहीं छोड़ी। जिंदगी को फिर से सवारा। इसी कहानी पर बनी Bollywood Movie फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स सेंसर बोर्ड की आपत्तियों, ढेर सारे कट और कुछ नाम बदलने के बाद रिलीज हुई।
फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ देखने गए विस्थापित कश्मीरियों के आंसू छलक पड़े। विवेक अग्निहोत्री की यह फिल्म इंदौर सहित देश के 700 स्क्रीन पर रिलीज किया गया है। इसके पहले दिन ही फिल्म ने करीब 3 करोड़ रुपये की कमाई की है। विस्थापित कश्मीरी समाज के करीब 400 परिवार शहर में रह रहे हैं।
आरएसएस के विभाग पर्यावरण संयोजकसागर चौकसे के साथ करीब सौ सदस्य वीरेंद्र कौल और अध्यक्ष बांगरु के साथ आइनॉक्स में फिल्म देखनेपहुंचे थे। फिल्म में बताए गए हिंसा के दृश्यों और विस्थापन के चलते सैकड़ों हिंदू परिवारों के घर उजड़ गए थे। फिल्म देखने वाले इन सदस्यों का कहना था तब हुए अत्याचारों पर सख्ती दिखाने की जिम्मेदारी केंद्र की थी लेकिन केंद्र सरकार इतनी पंगु थी कि आबरु और जान बचाने के लिए कश्मीर से भागने के अलावा कोई चारा नहीं था।
हर दिन होने वाले कत्लेआम और गूंजने वाले कश्मीर मांगे आजादी कश्मीर मांगे आजादी के नारों के बीच हमारा दर्द सरकार को नजर नहीं आया। कई कश्मीर पंडित तो लड़ते लड़ते शहीद हो गए।
अनुपम खेर, दर्शन कुमार, मिथुन चक्रवर्ती, पल्लवी जोशी, भाषा सुंबली, चिन्मय मांडलेकर, पुनीतइस्सर, प्रकाश बेलावड़ी, अतुल श्रीवास्तव। निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म जम्मू-कश्मीर को लेकर कई तरह की कहानियां अभी तक पर्दे पर उतरी हैं।
ज्यादातर में कश्मीर में किस तरह आतंकवाद ने अपनी जड़ें जमाईं उस पर फ़ोकस रहा है। इस फ़िल्म में 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के राज्य से बेघर होने की कहानी को दर्शाया गया है। कश्मीरी पंडितों के इस दर्द को अभी तक बड़ीस्क्रीन पर देखने का काफ़ी कम मौक़ा मिला है, इसी कहानी को ‘द कश्मीर फाइल्स’ में पेश किया गया है। 2 घंटे 40 मिनट की इस फिल्म के कुछ हिस्से झकझोरते हैं। फिल्म 1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ हुई उस घटना को बयां करती है, जब आतंकियों ने उन्हे अपने ही घर से भागने पर मजबूर कर दिया था।