BJP/Shivraj :- शिवराज BJP Shivraj सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-2023 के लिए 2,79,237 करोड़ का बजट पेश किया है। सरकार ने बजट में 22 नए मेडिकल कॉलेज खोलने की बात कही है। परन्तु सवाल यह उठता है की पुराने मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की कमी है तो, नए मेडिकल कॉलेज के लिए डॉक्टर और प्रोफ़ेसर कैसे मिलेंगे।
ऐसे में कैसे मेडिकल कॉलेजों में भविष्य के लिए प्रोफ़ेसर तैयार होंगे और कैसे मरीजों को स्पेशलिस्ट सुपरस्पेशलिस्ट इलाज की सुविधा मिलेगी। लेकिन इन सब बातों का सीधा साधा सरल जवाब है निजी अस्पतालों में जहां इन्हें सरकारी अस्पतालों से 4 -5 गुना तक पैसा मिलता है।
पुरे कोरोना काल में प्रदेश डॉक्टरों की कमी से जूझता रहा है। अब मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की मुख्य कमी सामने आ रही है। नए कॉलेजों को लेकर चिकित्सा टीचर्स एसोसिएशन ने सवाल उठाए है। उनका कहना है कि मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों की कमी है और उन्हें पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसर भी काम है। अब भी 13 मेडिकल कॉलेज में मात्र 3000 से 4000 ही डॉक्टर है, ऐसे में 22 मेडिकल कॉलेज खोलने के बाद में पढ़ाने वाले टीचर कहां से आएंगे।
शासकीय सेवा से दूरी बनाकर रखते हैं
एक्सपर्ट के अनुसार मेडिकल कॉलेज में दाखिले से लेकर डॉक्टर बनकर निकालने में साढे 5 साल लगते हैं। सरकार 3 करोड़ रुपए खर्च करती है। जिसमें प्रोफेसर का वेतन, इंफ्रास्ट्रक्चर, लेब, हॉस्टल, इंटर्नशिप की राशि स्कॉलरशिप की राशि से लेकर मेडिकल काउंसलिंग ऑफ इंडिया में कॉलेज की मान्यता के आवेदन का खर्च शामिल है। इनमें से 25% छात्र शासकीय सेवा के नियमों के तहत ज्वाइन ही देते।
पीजी परीक्षा की तैयारी सबसे बड़ी वजह
पीजी परीक्षा में डेढ़ साल में डेढ़ लाख लोग शामिल होते हैं। और एक लाख लोग फेल होते हैं, जिन्हें पीजी नहीं मिलता वह अगले साल की तैयारी करते हैं। MBBS को अच्छी नौकरी मिलने तो फिर गांव में भी जाएंगे। डिग्री लेने के बाद शासकीय सेवा में ना जाने की एक बड़ी वजह पोस्ट ग्रेजुएशन की तैयारी है सिलेबस पर पीजी की पढ़ाई है। शासकीय सेवा यह समय की बर्बादी मानते हैं। असुरक्षा का भाव भी है। डॉक्टरों की कमी मद्देनजर तय किया है कि मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र साडे 4 साल की पढ़ाई 1 साल की इंटर्नशिप के बाद 2 साल की शासकीय सेवा करेंगे इसमें ग्रामीण आंचल में भी डॉक्टर की कमी पूरी होगी।