Apple Hospital :- व्यापारी को 5 घंटे बनाया बंधक अस्पताल के पास ही दुकान मकान फिर भी नहीं किया विश्वास अस्पताल और डॉक्टर की सभी मरीज़ों को बेहतर इलाज देना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन निजी अस्पतालों में किसी तरह पैसे को महत्व दिया जाता इसका उदाहरण भवर कुआं स्थित Apple Hospital एप्पल हॉस्पिटल में देखने को मिला है। यहां दर्द से तड़प रहे मरीज को 5 घंटे तक सिक्योरिटी गार्ड द्वारा लगातार बंधक बनाकर रखा गया और बिल का पेमेंट होने के बाद ही उसे घर जाने दिया गया। आश्चर्य की बात तो यह है कि मरीज कि अस्पताल के पास ही दुकान और मकान हैं।
गत दिनों जयमलसिंह टक्कर को पेट दर्द हुआ तो उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया। टक्कर का मेडिकल क्लेम इंश्योरेंस यूनाइटेड कंपनी है। भर्ती करने वक्त केशलेस इलाज का कहा गया। डॉक्टर भगवान सिंह ठाकुर ने पेनक्रिया की परेशानी बताई और 2 दिन इलाज के बाद 9 मार्च को अस्पताल से डिस्चॉर्ज होने को कहा। सुबह 11 बजे मरीज को नीचे लाया गया। लेकिन मेडिकल क्लेम इंश्योरेंस की बजह से बिल पेमेंट न होने के कारण मैनेजमेंट ने जयमलसिंह टक्कर के पेट में दर्द होने की बाद भी उन्हें निचे बैठा रखा और जाने नहीं दिया।
कलेक्टर ने सील कराया था मेडिकल स्टोर
बताया जा रहा है कि कोरोनाकाल में भी एप्पल हॉस्पिटल पर लूटमार को लेकर कारवाही की गई है। कोरोना संक्रमण के भीषण दौर में भी एप्पल हॉस्पिटल द्वारा मरीजों से लूटमार की गई थी। कोविड इलाज के लिए जरूरी इंजेक्शन महंगे दाम पर बेचकर कालाबाजारी करने पर कलेक्टर मनीष सिंह ने अस्पताल प्रबंधन से जुड़े व्यक्ति पर FIR दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। साथ ही मेडिकल स्टोर सील कर दिया गया था। लगातार अस्पताल पर मरीज से ज्यादा वसूली के आरोप लगते रहे थे।
हम नोटों पर विश्वास रखते हैं
अस्पताल प्रबंधक अंकित पाठक से जब मरीज के परिजनो ने बात कि तो उनका कहना था की आपका क्लेम सेटल नहीं हुआ है। इस पर इंश्योरेंस कंपनी से बात की गई तो क्लेम सेटल होने की बात कही गई। इसके बाद भी पाठक कोई बात सुनने को तैयार नहीं हुए। बल्कि उसने मरीज के साथ गार्ड को लगा दिया ताकि वह भाग ना जाए। पेट में दर्द की शिकायत के बाद भी शाम 4 बजे तक बिल काउंटर के पास ही बिठाया रखा। मरीज के परिजनों ने उनके दोस्तों को यह जानकारी दी तो शाम 4 बजे दोस्त संजय अरोरा व अन्य वहां पहुंचे।
संजय ने अंकित पाठक को बताया कि आपके हॉस्पिटल के पास में ट्रांसपोर्ट नगर में टक्कर का ऑफिस है, और सामने ही ठक्कर का मकान है। लेकिन उन्होंने कोई बात नहीं सुनी और बोले हमें कुछ मालूम नहीं, हम केवल पैसों पर विश्वास रखते है, आप पेमेंट दे और मरीज ले जाएं, और 21 हज़ार जमा करने के बाद ही मरीज को जाने दिया गया। मरीज का आरोप है कि पैसों के लिए उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। स्वस्थ ठीक होने पर हम इस संबंध में शिकायत करेंगे। लेकिन इस पुरे मामले में हॉस्पिटल प्रबंधक बात करने से बचता रहा।