Alcohol Madhya Pradesh :- मध्य प्रदेश में नई Alcohol शराब नीति के विरोध के चलते ठेकेदार भोपाल इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर समेत प्रदेश के 17 जिलों में ठेके लेने के पीछे हट रहे हैं। यदि ठेकेदार ठेके नहीं लेते हैं तो 1 अप्रैल से भोपाल इंदौर समेत 17 जिलों में 65% शराब दुकान नहीं खुलेगी। ऐसे में सरकार को करोड़ों के रेवेन्यू का नुकसान होगा या फिर सरकार को ही ठेके चलने पड़ेंगे।
नई नीति के तहत प्रदेश में 17 जिलों में सिंगल की जगह ग्रुप में दुकानों के टेंडर दिए जा रहे है। इनमें भोपाल, राजगढ़, इंदौर, खंडवा, जबलपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट, कटनी, सतना, उज्जैन, नीमच, सागर, ग्वालियर, शिवपुरी, भिंड, और मुरैना जिले शामिल है। 2000-21 और 2021-22 में यह यह सिंगल ठेके की व्यवस्था थी। यानी एक ही ठेकेदार जिले की दुकानों का संचालन करते थे। 2022-23 के लिए 3-3 दुकानों का ग्रुप बना दिए गए है। यानि ठेकेदार अब ग्रुप में दुकान चलाएंगे। इस निति को लेकर ही ठेकेदार खफा है। वे दुकाने लेने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है। 17 जिलों में एवरेज 35% ठेके ही नीलाम हो पाए है।
भोपाल में अब तक 32 दुकाने के ही ठेके हुए
भोपाल में शराब की दुकानें 90 है। 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 तक के लिए ई टेंडर की प्रोसेस 11 फरवरी को हुई थी। इस दौरान 32 दुकानों के ही ठेके हुए थे। दुकानदारों का कहना है कि विभाग द्वारा इस बार 25% रिजर्व प्राइस बढ़ा दिया गए है यह सौदा घाटे का है। वही देसी और अंग्रेजी शराब की एक ही दुकान पर बेचने की शर्तें भी हैं। इस कारण कारोबार पर असर पड़ेगा लिहाजा ठेकेदार ठेके लेने से पीछे हट रहे हैं। यही कारण है कि 23 मार्च तक दौर की नीलामी होने के बावजूद ठेके नहीं बिक पाए है।
ठेके मिला नहीं तो सरकार इतना नुकसान
शराब दुकानदारों की मानें तो भोपाल में 90 शराब ठेके की नीलामी 1094 करोड़ रूपए की होनी है, और इंदौर में 1300 करोड़ की नीलाम होनी हैं। इन दोनों जिलों में 35% ही ठेकेदार हुए हैं। बाकी ठेकों की नीलामी ना होने से सरकार को रेवेन्यू में भरी नुसकान तो होना ही है।