Chetrichandr Festival सनातनी संस्कृति का साकार रूप: सिंधी समाज
Chetrichandr Festival यदि सनातनी संस्कृति का एकत्रित और साकार रूप देखना हो, तो सिंधी समाज इसका सर्वोत्तम उदाहरण है। अपनी जड़ों से जुड़े रहकर और अपने प्राचीन गौरव को संजोते हुए नई पीढ़ी को इसका अहसास कराना सिंधी समाज की विशेषता है। अपनी मेहनत, लगन और समर्पण से सिंधी समाज ने जबलपुर ही नहीं, बल्कि प्रदेश, देश और विश्वभर में सम्मान और प्रतिष्ठा अर्जित की है। यह विचार मध्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह ने सिंधी समाज द्वारा छोटी लाइन फाटक स्थित समन्वय सेवा केंद्र में आयोजित चेट्रीचंड्र महोत्सव के कार्यक्रम में व्यक्त किए।

भगवान झूलेलाल की जयंती और भारतीय नववर्ष की शुभकामनाएँ
Chetrichandr Festival कार्यक्रम में बड़ी संख्या में उपस्थित सिंधी समाज के नागरिकों को भगवान झूलेलाल जी की जयंती और भारतीय नववर्ष की बधाई देते हुए श्री सिंह ने कहा कि भगवान झूलेलाल द्वारा दिखाया गया मार्ग प्रेरणादायक है और यह आने वाली पीढ़ियों का सदैव मार्गदर्शन करेगा। उन्होंने कहा कि इस शुभ दिन पर हम भगवान सूर्य की उपासना करने के साथ-साथ भगवान झूलेलाल को भी नमन कर रहे हैं, जो जल देवता के प्रतीक हैं। भारतीय संस्कृति में हर पूजा पद्धति के पीछे वैज्ञानिक आधार होता है, और यह संस्कृति प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाने की शिक्षा देती है।
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सनातनी संस्कृति और सिंधी समाज की विरासत – Chetrichandr Festival
Chetrichandr Festival श्री सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की एकमात्र ऐसी संस्कृति है, जो कण-कण में परमात्मा का अनुभव करती है। जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों में भी ईश्वर का स्वरूप देखने वाली यह सनातनी संस्कृति आज भी प्रासंगिक और जीवंत है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि सिंधी समाज के साथ बिताए गए वर्षों में उन्हें इस समृद्ध संस्कृति को नजदीक से जानने का अवसर मिला है।
धार्मिक और परोपकारी कार्यों में सिंधी समाज की भूमिका
Chetrichandr Festival सिंधी समाज न केवल धार्मिक आयोजनों में सक्रिय रहता है, बल्कि समाजसेवा और परोपकार के कार्यों में भी इसकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। श्री सिंह ने भगवान झूलेलाल से सिंधी समाज की निरंतर प्रगति की कामना की और कहा कि समाज की उन्नति का अर्थ है संपूर्ण समाज के विकास का मार्ग प्रशस्त होना।
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माँ नर्मदा तट का होगा भव्य विकास
लोक निर्माण मंत्री ने इस अवसर पर एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए बताया कि गौरीघाट स्थित माँ नर्मदा तट को अयोध्या के सरयू तट की तर्ज पर विकसित करने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए डीपीआर तैयार की जा रही है, और यह कार्य भगवान झूलेलाल के आशीर्वाद से संभव हो पा रहा है।
समाज के प्रतिभाशाली बच्चों और गणमान्य नागरिकों का सम्मान
चेट्रीचंड्र महोत्सव के इस पावन अवसर पर सिंधी समाज द्वारा लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह का शाल ओढ़ाकर सम्मान किया गया। साथ ही, समाज के प्रतिभाशाली बच्चों को भी उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में समाज के अध्यक्ष श्री भठिजा, डॉ. के. सी. देवानी, श्री मुकेश खत्री, श्री सोनू बचवानी सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
सिंधी समाज की प्रगति और संस्कृति का उत्सव
चेट्रीचंड्र महोत्सव न केवल सिंधी समाज की धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह उनकी संस्कृति, परंपरा और सामाजिक योगदान का भी उत्सव है। यह पर्व हमें अपने मूल्यों को संजोते हुए समाज की सेवा करने की प्रेरणा देता है।
