उज्जैन में बेटे को नोटों से तौला: मन्नत पूरी होने पर 10 लाख 7 हजार रुपए मंदिर में दान

Ujjain son was weighed with notes: 10 lakh 7 thousand rupees donated to the temple after the wish was fulfilled

Ujjain मध्य प्रदेश के उज्जैन Ujjain जिले के बड़नगर में एक अनोखी घटना सामने आई, जिसमें एक किसान ने मन्नत पूरी होने पर अपने बेटे को 10-10 रुपए के नोटों की गड्डियों से तौल दिया। किसान ने बेटे के वजन के बराबर नोटों को तराजू में रखा और फिर इन नोटों को मंदिर में दान कर दिया। कुल राशि 10 लाख 7 हजार रुपए थी, जिसे श्री सत्यवादी वीर तेजाजी महाराज के मंदिर में दान किया गया।

Read More :- छत्तीसगढ़ में स्कूल-कॉलेजों के लिए छुट्टियों की घोषणा: दशहरा-दीपावली पर 8-8 दिन की छुट्टी

चार साल पुरानी मन्नत

बड़नगर निवासी चतुर्भुज जाट, जो पेशे से किसान हैं, ने करीब चार साल पहले अपने बेटे वीरेंद्र जाट (30 वर्ष) के लिए मन्नत मांगी थी। उन्होंने वचन दिया था कि अगर मन्नत पूरी होती है, तो वह अपने बेटे के वजन के बराबर राशि मंदिर में दान करेंगे।

Ujjain तराजू में तौल कर 10 लाख से ज्यादा राशि दान

गुरुवार को तेजाजी दशमी के अवसर पर चतुर्भुज जाट ने अपने बेटे को तौलने का निर्णय लिया। इसके लिए 10-10 रुपए के नोटों की करीब एक हजार से ज्यादा गड्डियां इकट्ठी की गईं। एक बड़े तराजू का प्रबंध किया गया, जिसमें एक तरफ बेटे वीरेंद्र को बिठाया गया और दूसरी तरफ नोटों की थैलियां रखी गईं। बेटे का वजन 83 किलो था, और तौलने पर लगभग 10 लाख 7 हजार रुपए की राशि निकली, जिसे तुरंत मंदिर में दान कर दिया गया।

Read More :- Jabalpur में नवंबर में होगा महाकौशल विज्ञान, प्रौद्योगिकी और आरोग्य मेला, 40 प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान करेंगे प्रदर्शन

नोटों को इकट्ठा करने की प्रक्रिया

वीरेंद्र जाट ने बताया कि उन्होंने दो साल पहले से ही 10-10 रुपए के नोट इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। ये नोट उन्होंने विभिन्न बैंकों से एक्सचेंज के जरिए प्राप्त किए। इसके अलावा, उन्होंने रिश्तेदारों और परिचितों से भी मदद ली। कुल मिलाकर 1007 गड्डियां इकट्ठी की गईं। उन्होंने यह भी बताया कि अगर बेटे का वजन ज्यादा होता, तो अतिरिक्त नोट भी तैयार रखे गए थे।

Read More :- रेलवे अंडरब्रिज के गटर में गिरा बाइक सवार, देखें वीडियो: Raigarh में बारिश से भरा गंदा पानी, हादसे के बाद रास्ता बंद

निष्कर्ष

यह घटना मन्नत और विश्वास की अद्वितीय मिसाल है। चतुर्भुज जाट की इस धार्मिक आस्था और बेटे के प्रति प्रेम ने उन्हें इस अद्वितीय दान का हिस्सा बनाया।